कंप्यूटर के 4 मुख्य उपकरण

कंप्यूटर के 4 मुख्य उपकरण

जैसा की हम सभी जानते हैं की कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए मुख्य चार डिवाइस की आवश्यकता पड़ती है, इन चारो के बिना कंप्यूटर को अपूर्ण मन जाता है, यही कंप्यूटर के मुख्य उपकरण होते हैं| चलिए इनके बारे में विस्तार से पढ़ते हैं –

मॉनिटर (Monitor)

यह एक विज्युअल डिस्प्ले यूनिट होता है। यह टेलीविजन की तरह दिखता है यह कंप्यूटर पर हो रहे सभी कार्यों को दिखाता है। मॉनिटर का आविष्कार Karl Ferdinand Braun ने सन 1897 में किया था। यह मुख्य तीन प्रकार के होते हैं।

मोनोक्रोम: यह शब्द दो शब्द (mono) अर्थात एकल तथा क्रोम (chrome) अर्थात रंग से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते है। तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित करता है।

ग्रे-स्केल: यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के डिस्प्ले को ग्रे शेडस में प्रदर्शित करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप में प्रयोग किये जाते हैं

रंगीन मॉनीटर: ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है इसी कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन मैं ग्राफिक्स को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं।

की-बोर्ड (Key-Board)

कीबोर्ड टाइपराइटर की तरह दिखता है। लेकिन इसमें कुछ अतिरिक्त कुंजी भी होते हैं। कीबोर्ड का प्रयोग कंप्यूटर टेक्स्ट टाइप करने या कमांड देने के लिए किया जाता है। अधिकांश कीबोर्ड में 104 की होते है। कुछ में इससे अधिक भी होते है। कीबोर्ड के कुंजी को मुख्य चार भागों में बांटा जाता है।

अल्फाबेटीक कुंजी:- कीबोर्ड पर A से Z तक के बटन को अल्फाबेटीक कुंजी कहा जाता है, यह कीबोर्ड पर 3 पंक्तियों में होती है, जो निम्नलिखित है-

Q W E R T Y U I O P
A S D F G H J K L
Z X C V B N M

न्यूमेरिक कुंजी:- कीबोर्ड पर 0 से 9 तक के अंक वाले बटन को न्यूमेरिक बटन कहते हैं।

फंक्शन कुंजी:- कीबोर्ड पर F1 से F12 तक के बटन को फंक्शन की कहते हैं। इनकी संख्या 12 होती है।

कर्सर मूवमेंट कुंजी:- कर्सर को दाएँ बाएँ और ऊपर नीचे करने के लिए कीबोर्ड पर 4 बटन होते हैं जिन्हें कर्सर मूवमेंट कीज़ कहा जाता है, इसके अलावां पेज को उपर नीचे करने के लिए पेज अप और पेज डाउन तथा लाइन के प्रारंभ तथा अंत में जाने के लिए होम और एंड नाम के दो बटन होते हैं यह भी कर्सर मूवमेंट कीज़ होते हैं।

ऊपर जो हमने पढ़ा इनके अलावा भी कीबोर्ड में कुछ कुंजी होते हैं जिन्हें कामन या स्पेशल कुंजी कहते हैं। जैसे-

बैक स्पेस की:- इस कुंजी का प्रयोग लिखते समय हुई गलतियों को मिटाने के लिए किया जाता है, यह कर्सर से बायीं तरफ़ मिटाता है।

शिफ्ट की:- यह स्पेशल की है, इसका प्रयोग हमेशा किसी अन्य कुंजी के साथ होता है, कीबोर्ड के जिस बटन पर दो चिह्न होते हैं उनमे उपर वाले चिह्न को लिखने के लिए उस बटन को शिफ्ट बटन के साथ दबया जाता है, इसके अलावां जब इसके साथ अल्फाबेटीक कुंजी को दबया जाता है तो कैपिटल लेटर में टाइप होता है और जब कैप्स लॉक की ऑन हो तो स्माल लेटर टाइप होता है।

डिलेट की:- इस बटन का प्रयोग फाइल या फोल्डर को मिटाने में प्रयोग किया जाता है, इसके अलावां लिखते समय यह कर्सर के दायीं तरफ़ के अक्षर को मिटाता है।

विंडोज की:- यह एप्लीकेशन की होती है, हम कंप्यूटर सिस्टम में जो भी फाइल या एप्लीकेशन इंस्टाल करते उन सभी को विंडोज की के द्वारा खोजा जा सकता है।

एंटर की:- इस कुंजी का प्रयोग क्लिक करने तथा लिखते समय लाइन बदलने के काम आता है।

कैप्स लॉक की:- जब कीबोर्ड पर यह बटन ऑन हो तो सभी अल्फाबेटीक कुंजी कैपिटल लेटर में छपते हैं और जब यह बटन बंद हो जाता है तो सभी अल्फाबेटीक कुंजी स्माल लेटर में छपते हैं।

स्पेस बार की:- इस कुंजी का प्रयोग लिखते समय अक्षरों के बीच जगह छोड़ने के लिए किया जाता है।

स्केप:- इस कुंजी का प्रयोग खुले हुए डायलाग बॉक्स को बंद करने के लिए किया जाता है।

अल्टरनेट की:- यह भी एक स्पेशल की है, इसी भी हमेशा किसी अन्य कुंजी के साथ प्रयोग में लाया जाता है। जैसे Alt के साथ F4 दबाने से खुले हुए प्रोग्राम को बंद किया जा सकता है।

टैब की:- टैब की भी एक तरह का कर्सर की है, इसका प्रयोग भी एक ऑब्जेक्ट से दुसरे ऑब्जेक्ट तक जाने के लिए किया जाता है।

कंट्रोल की: कण्ट्रोल भी एक तरह की स्पेशल कुंजी होती है, इसे भी हमेशा दुसरे बटनों के साथ प्रयोग में लाया जाता है। जैसे Ctrl के साथ S दबाने से खुली हुयी फाइल को सेव किया जा सकता है।

माउस (Mouse):-

माउस वास्तविक के चूहे जैसा दिखता है। माउस को Pointing Device भी कहा जाता है। इसका प्रयोग ऑब्जेक्ट को चुनने और दिशा निर्देश करने में किया जाता है। माउस के द्वारा यूजर कम्प्यूटर को निर्देश देता है।

यह कर्सर को चलाकर पटल के वांछित स्थान पर उसे ले जाने तथा इसका नोद्य (बटन) दबाकर उचित विकल्प चुनने में मदद करता है। अधिकतर माउस मैं दो या तीन बटन होते हैं। Left key, Right key और Scroll key.

Left key का प्रयोग ऑब्जेक्ट को चुनने। तथा right key का प्रयोग विकल्प के लिए तथा स्क्रॉल की का प्रयोग पेज को स्क्रॉल करने के लिए किया जाता है।

सी. पी.यू. (C.P.U.)

सी.पी.यू का पूरा नाम सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है। सी.पी.यू कंप्यूटर का दिमाग़ भी कहते हैं। यह समस्त कंप्यूटर को नियंत्रित और संचालित करता है। CPU कंप्यूटर का सबसे मुख्य भाग होता है जिसका काम कंप्यूटर में आने वाले इनपुट (Input) निर्देशों पर प्रोसेस (Process) करना और सुरक्षित करना होता है। समस्त कंप्यूटर को सीपीयू ही नियंत्रित करता है। CPU के तीन भाग होते हैं।

ए.एल.यू. (A.L.U.) :- A.L.U. का पूरा नाम अर्थमेटिक एवं लॉजिक यूनिट है। ALU का कार्य कंप्यूटर में तार्किक गणना या अंक गणितीय गणना (जोड़ना। घटाना। गुणा। भाग इत्यादि) करना होता हैं। ALU ही कंप्यूटर के सभी गणितीय और लॉजिकल कार्य को पूरा करता है।

सी. यू. (C.U.) :- कंट्रोल यूनिट (Control Unit) यह समस्त कंप्यूटर को कण्ट्रोल करने का काम करता है।

एम.यू. (M.U) :- मेमोरी यूनिट (Memory Unit) सी.पी.यू. का यह भाग डाटा को स्टोर करने का काम करता है। इसे कंप्यूटर का स्टोर हाउस कहते हैं। मेमोरी यूनिट के दो भाग होते हैं। (इंटरनल और एक्सटर्नल मेमोरी)

इंटरनल मेमोरी- कंप्यूटर के आन्तरिक मेमोरी को प्राथमिक या मुख्य मेमोरी भी कहा जाता है। यह मेमोरी सिमित होता हैं। इंटरनल मेमोरी भी दो प्रकार की होती हैं। (Ram और Rom)

RAM (रैम) रैम का पूरा नाम रैंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory) होता है। रैम में डाटा अस्थायी रूप से संगृहीत रहती है। कंप्यूटर के बन्द हो जाने पर इसमें स्टोर डाटा मिट जाता है।

ROM (रोम) रोम का पूरा नाम रीड ओनली मेमोरी (Read only Memory) होता है। यह स्थायी मेमोरी होता है। कंप्यूटर के निर्माण के समय ही इसमें डाटा स्टोर कर दिया जाता है। इसे परिवर्तित या नष्ट नहीं किया जा सकता हैं।

एक्सटर्नल मेमोरी- कंप्यूटर की आन्तरिक मेमोरी सिमित कम होने के कारण आतंरिक मेमोरी जल्दी भर जाती है। इस लिए बाह्य स्टोरेज डिवाइसो की मदद ली जाती है। जो कंप्यूटर से बहार से जोड़ा जा सकता है। इसे हम एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसे द्वितीयक या बाह्य डिवाइस भी कहा जाता है।

कुछ बाह्य संग्रहण डिवाइसो के उदाहरण-

फ्लापी डिस्क- यह कंप्यूटर के डाटा को स्टोर करने के काम आता है। इसकी स्टोरेज क्षमता बहुत कम होती है। जो करीब 1.44 MB तक होती है। वर्त्तमान में फ्लापी डिस्क का प्रयोग नहीं के बराबर होता हैं।

हार्ड डिस्क- यह प्रायः सभी कंप्यूटर में पाया जाता है। यह एक चुम्बकीय डिस्क होती है। इसकी स्टोरेज क्षमता 10 GB से अधिक होती है।

कॉम्पेक्ट डिस्क (C.D.) – CD को ही कॉम्पेक्ट डिस्क कहा जाता है। इसकी स्टोरेज क्षमता सामान्यतः 650 से 700 MB तक होती है।

डिजिटल विडियो डिस्क (DVD) – DVD को डिजटल विडियो डिस्क (Digital Video Disk) कहा जाता है। इसकी स्टोरेज क्षमता 17 GB तक हो सकती है।